नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। तिब्बत मामले पर केंद्र सरकार के रवैये को शर्मनाक करार देते हुए भाजपा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं ने दो टूक कहा है कि चीन से अलग हुए बिना तिब्बत का कोई भविष्य नहीं है।
पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा है तिब्बत को जम्मू-कश्मीर से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता, दोनों मामले पूरी तरह अलग हैं। संघ के अखिल भारतीय पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने कहा कि चीन का इतिहास बताता है कि तिब्बत उसका हिस्सा कभी नहीं रहा है। यही वजह है कि चीन की दीवार तिब्बत के उस पार है।
तिब्बत के समर्थन में देश भर से उठ रही आवाज को भाजपा व संघ नेताओं ने मजबूती दी है। सोमवार को यहां एक विचार गोष्ठी में भाजपा के यशवंत सिन्हा, प्रकाश जावेडकर व संघ के इंद्रेश कुमार ने साफ कर दिया कि तिब्बत पर समझौता करना उसे खोना है।
इंद्रेश कुमार ने इतिहास के पन्ने पलटते हुए कहा कि सौ साल पुराने चीन के इतिहास में तिब्बत उसका हिस्सा नहीं है। उस समय के चीनी इतिहास में चीन के क्षेत्रफल, उसकी जनसंख्या और तो और चीन की दीवार के भीतर भी तिब्बत का उल्लेख नहीं है। यदि इस समय चुप रहा गया तो तिब्बत में तिब्बती लोग व उनकी सभ्यता इतिहास की चीज रह जाएगी और सब कुछ चीनी हो जाएगा। उन्होंने कहा, भारत को अत्याचार का खुलकर प्रतिवाद करना चाहिए और उसे चीन से डरने की कतई जरूरत नहीं है।
पूर्व विदेश मंत्री व भाजपा सांसद यशवंत सिन्हा ने कहा कि आज वे विदेश मंत्री नहीं हैं, इसलिए नाप-तौल कर बोलने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के स्पष्ट शब्दों में कहा कि चीन से अलग हुए बिना तिब्बत का कोई भविष्य नहीं है। उन्होंने तिब्बत समस्या को चीन से जोड़े जाने का विरोध करते हुए कहा कि दोनों पूरी तरह अलग-अलग मामले हैं। साथ ही यह भी साफ है कि जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर चीन ने भारत का साथ कब दिया? उसने हमेशा भारत विरोधी रुख ही दर्शाया है। इसलिए तिब्बत पर उसके साथ कोई नरमी दिखाने की जरूरत नहीं है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि भारत के राजदूत को चीनी सरकार द्वारा रात दो बजे तलब करने पर केंद्र सरकार की चुप्पी शर्मनाक है।
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