गोंड़ सूर्यवंशी हैं, घर-घर बताएंगे :राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
भास्कर न्यूज सॆ साभार
छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण रोकने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब आदिवासी क्षेत्रों में घर-घर पहुंचकर उन्हें गोंड़ समाज की गौरवगाथा बताएगा। उन्हें बताया जाएगा कि वे पिछडे या शोष्ति नहीं हैं, बल्कि सूर्यवंशी क्षत्रियों के वंशज हैं। इसके लिए 'गोंड़ वंश प्रदीपिका' के नाम से एक लाख पुस्तक बांटने की योजना है। इसकी जिम्मेदारी धर्म जागरण विभाग को सौंपी गई है।
इस संबंध में आज धर्मसेना के प्रदेश कार्यालय में उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें सभी जिलों से गोंड समाज के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सूत्रों के मुताबिक बैठक में गोंड समाज के प्रमुख नेताओं ने बस्तर, सरगुजा, जशपुर, जांजगीर और दंतेवाड़ा समेत अधिकतर क्षेत्रों में धर्मांतरण की शिकायत की। उन्होंने बताया कि विदेशी पादरी आदिवासी क्षेत्रों में भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। वे जनजातियों को द्रविड़ या हिंदू नहीं मानते। स्वार्थवश कुछ शिक्षित लोग भी उनका साथ दे रहे हैं। इससे आदिवासियों का धर्मांतरण आसानी से होने लगा है।
धर्म जागरण विभाग के अखिल भारतीय सह संयोजक राजेंद्र सिंह ने प्रतिनिधियों को समझाया कि गोंड़ समाज का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। विदेशी इतिहासकारों ने इसे जानबूझकर छुपाकर रखा। इस बारे में काफी शोध के बाद असलियत सामने आई। उसे पुस्तक के रूप में घर-घर पहुंचाया जाएगा। पुस्तक में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के प्रसिद्ध भूगोलवाो डा. शिवकुमार तिवारी, डा. जीएस धुरिए, डा. सच्चिदानंद एवं डा. कमल शर्मा के शोधों का वर्णन हैं। पुस्तक के मुताबिक विदेशी लेखकों क्रिस्टोफवान फ्यूरर हैमनडार्फ, हिसलप, फुस, ग्रिंगसन व शेरिंग ने गोमांस का सेवन न करना, बाल विवाह और जाति प्रथा को हिंदू धर्म का आधार माना। इसी लिहाज से उन्होंने गोंड़ समाज को कभी हिंदू नहीं माना।
आज भी बहुत से लोग इस धारणा को सच मानते हैं, जबकि भारतीय विद्वानों ने प्रमाणित किया है कि गोंड़ समाज हिंदू धर्म का अभिन्ना अंग रहा है। भारतीय विद्वान सच्चिदानंद ने अपने कई ग्रंथों में लिखा है कि गोंड़ जाति, दूसरी जातियों से अलग-थलग कभी नहीं रही। न ही दूसरे धर्म या जाति से उनका विरोध रहा है। मुगलकाल को छोड़कर कभी भी इनकी संस्कृति और धर्म पर आक्रमण नहीं हुए। बैठक के बाद गोंड़ समाज के प्रतिनिधियों को एक् हजार पुस्तकें दी गईं। पुस्तक के वितरण में संघ के अनुषंगिक संगठन के कार्यकर्ताओं को भी लगाया जाएगा। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक रामदा चक्रधर, धर्म जागरण विभाग के प्रदेश संयोजक वीरेंद्र श्रीवास्तव समेत सभी जिलों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
क्या क्या हैं पुस्तक में -
बूढ़ादेव(शंकर-पार्वती) और भगवान राम की तस्वीर, प्रथम आदिवासी संत महिला माता राजमोहिनी देवी का जीवन परिचय, दंतेश्वरी मां व काली मां की तस्वीर व रानी दुर्गावती की तस्वीर।
1 comment:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सम्बन्धित समाचारों के बारे में यह ब्लाग बहुत ही सराहनीय है।
मैं यहाँ 'प्रज्ञा प्रवाह' के बारें में खोजते हुए आ पहुंचा। क्या आप प्रज्ञा प्रवाह के बारे में हिन्दी विकिपिडिया पर एक छोटा सा लेख लिख सकते हैं?
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